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ग्रहण दोष पूजा उज्जैन मे पंडित मयंक शर्मा जी द्वारा कराई जाती है। पूजा वैदिक मंत्रो के साथ की जाती है। ग्रहण दोष पूजा उज्जैन मे करने से फल की प्राप्ति शीघ्र होती है। पूजा बुक करने के लिए अभी संपर्क करे।
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ग्रहण दोष कब बनता है?
व्यक्ति की जन्मकुंडली के 12 भावो मे से किसी एक भाव मे सूर्य ग्रह या चन्द्र ग्रह के साथ राहु या केतू हो तो इस प्रकार की स्थिति कुंडली मे बनने पर ग्रहण दोष बनता है। ग्रहण दोष जिस भाव मे लगता है, उस भाव से संबन्धित विषय पर अशुभ प्रभाव पड़ता है।
पूर्ण चन्द्र ग्रहण – जब राहु और चंद्रमा एक ही भाव मे स्थित हो।
पूर्ण सूर्य ग्रहण – जब राहू और सूर्य एक ही भाव मे स्थित हो।
आशिंक चन्द्र ग्रहण – जब केतू और चंद्रमा एक ही भाव मे स्थित हो।
आशिंक सूर्य ग्रहण – जब केतू और चंद्रमा एक ही भाव मे स्थित हो।
ग्रहण दोष के लक्षण क्या है?
ग्रहण दोष के लक्षण निम्नलिखित है-
- बार बार गर्भपात होना।
- बच्चे का बार बीमार होना।
- घर या कार्यस्थान पर स्मस्याओ का सामना करना।
- मेहनत करने के पश्चात भी सफलता नहीं मिलती है।
- घर मे नकरात्म्क ऊर्जा का अनुभव होना।
ग्रहण दोष के उपाय क्या है?
ग्रहण दोष के उपाय निम्नलिखित है-
- ज्योतिष की सलाह से रूबी या मोती धरण करे।
- भगवान विष्णु के मंत्रो का जप करना चाहिए।
- भगवान शिव के मंत्रो के जाप करना चाहिए।
- तांबे के पात्र से पानी पीने से दोष के दुष्प्रभाव मे कमी आती है।
- गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
महत्वपूर्ण सूचना
- पंडित मयंक शर्मा जी द्वारा करवायी जा रही ग्रहण दोष पूजा मे जो ब्राह्मण मंत्र जाप करते है, उन्हे कर्मकांड और मंत्रो का विशेष ज्ञान होता है। बटुक ब्राह्मणों द्वारा मंत्र जाप नहीं कराया जाता है।
ज्योतिष आचार्य मयंक शर्मा
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